तुम नेता हो तुम्हे कर्म-धर्म निभाना पड़ता है,
अरे दयालु दिनानिधान हो तुम, इक नए युग की पहचान हो तुम,
तुम हो प्रतीक सत्य का अरे!महामान हो तुम,
व्यस्त हो तुम खाने में, अरे कर्म का साक्षात् हो तुम.
कौन कहता है तुम कुछ नहीं करते...
घोटाले,नदी-नाले,ये रेशम के जले सभी जगह व्याप्त हो तुम...
मैं हूँ मुर्ख, लिखना नहीं आता मुझे तुम्हारी शान में ये झूठा छन्द बनाना पड़ता है मुझे,
अरे,तुम नेता हो तुम्हे देश चलाना पड़ता है,
तुम नेता हो तुम्हे कर्म-धर्म निभाना पड़ता है,
असम्माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ज़ोर देकर कहा है की
किसी भी युद्ध की स्थिति मे भारत परमाणु बम का प्रयोग पहले नहीं करेगा
===== भावार्थ ====
(हम पहले परमाणु बम के स्वाद को चखेंगे, फिर हमारे पिताजी गांधी जी को याद करते हुए
दूसरे गाल पर चाटे का इंतजार करेंगे, अरे निर्लज देसवासियों हम लोगो ने 200 भारतीयो के
हत्यारे कसाब को फांसी नहीं दी .... तो परमाणु बम का प्रयोग क्या खाक करेंगे....)